बढ रही है नफरते प्यार हो रहा है कम
आदमी ही आदमी पर कर रहा सितम
इंसान में इंसानियत हो रही ख़तम
यही हमारी सदी का है गम
पैसा और दौलत के पीछे भाग रहे हैं हम
भूल गए दोस्ती और मोहब्बत का रहम
बस जीते हैं एक मशीन की तरह हम
यही हमारी सदी का है गम
बढ रही है नफरते प्यार हो रहा है कम
आदमी ही आदमी पर कर रहा सितम
इंसान में इंसानियत हो रही ख़तम
यही हमारी सदी का है गम
पैसा और दौलत के पीछे भाग रहे हैं हम
भूल गए दोस्ती और मोहब्बत का रहम
बस जीते हैं एक मशीन की तरह हम
यही हमारी सदी का है गम
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